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18th Indian Forest Status Report 2023: CURRENT AFFAIRS 2024-25

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18th Indian Forest Status Report 2023: Current Affairs 


18वीं भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट 2023

  • जारी: 21 दिसंबर, 2024
  • जारीकर्ता: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (मंत्री: भूपेंद्र यादव)
  • तैयार: भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI), देहरादून
  • यह रिपोर्ट भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) - देहरादून द्वारा प्रत्येक 2 वर्ष में तैयार की जाती है।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा पहली बार वन रिपोर्ट 1987 में तैयार की गई थी।

मुख्य बिंदु:
1. कुल वन और वृक्ष आवरण:
भारत के कुल क्षेत्रफल का 24.63%।
2. शीर्ष राज्य (वन क्षेत्र):
मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़।
3. तकनीक:
सैटेलाइट डेटा और GIS का उपयोग।
4. वन गुणवत्ता:
सघन वनों में वृद्धि, खुले वनों में सुधार।
5. उद्देश्य:
वन और वृक्ष आवरण का आकलन।

 

भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India - FSI)

  • स्थापना: 1981
  • मुख्यालय: देहरादून, उत्तराखंड

प्रमुख कार्य:
  • भारतीय वन सर्वेक्षण, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख राष्ट्रीय संगठन है, जो नियमित रूप से देश के वन संसाधनों के मूल्यांकन और निगरानी के लिए उत्तरादयी हैं।
  • प्रत्येक 2 वर्ष में वन रिपोर्ट तैयार करता हैं।
  • पहली वन रिपोर्ट 1987 को जारी की गई थी।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव द्वारा 21 दिसम्बर, 2024 को 18वीं भारतीय वन रिपोर्ट जारी की गई।
  • इस रिपोर्ट को जारी करने में भारतीय दूर संवेदी उपग्रह (रिसोर्स सैट) एवं फील्ड आधारित राष्ट्रीय वन इन्वेंट्री से प्राप्त आंकड़ो का प्रयोग किया जाता हैं।

डेटा स्रोत:
  • भारतीय दूर संवेदी उपग्रह (रिसोर्स सैट)
  • फील्ड-आधारित राष्ट्रीय वन इन्वेंट्री

महत्व:
  • वनों की स्थिति, गुणवत्ता और वन क्षेत्र में बदलावों का आकलन।
  • वन प्रबंधन और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए डेटा उपलब्ध कराना।

राष्ट्रीय वन नीति - 1988

लक्ष्य:

  • देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 33% वन क्षेत्र के अंतर्गत लाना।
  • पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखना और वन्यजीवों की रक्षा करना।
  • वनों का संरक्षण और सतत उपयोग सुनिश्चित करना।

प्रमुख बिंदु:

1. वनों का उद्देश्य:
  • पर्यावरणीय स्थिरता।
  • जल स्रोतों का संरक्षण।
  • मृदा कटाव को रोकना।
  • वनों की उत्पादकता बढ़ाना।

2. समुदाय की भागीदारी:
  • वनों के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भागीदारी।
  • संयुक्त वन प्रबंधन (Joint Forest Management - JFM) का प्रोत्साहन।

3. वन्यजीव संरक्षण:
  • जैव विविधता को संरक्षित करना।
  • राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों का विकास।

वन संरक्षण अधिनियम - 1990:
  • वनों के संरक्षण और उनके सतत उपयोग के लिए बनाए गए प्रावधान।
  • वनों की कटाई को रोकने और पुनर्वनीकरण को प्रोत्साहित करने पर जोर।
  • वन भूमि को गैर-वन उपयोग में बदलने के लिए सख्त नियंत्रण।

महत्व:
  • वनों और पर्यावरणीय संतुलन के संरक्षण में एक अहम नीति।
  • वन और जलवायु संकट से निपटने का आधार।

18वीं भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट 2023

मुख्य परिभाषाएँ:-
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वनावरण (Forest Cover):

  • वह भूमि जिसका क्षेत्रफल 1 हेक्टेयर से अधिक हो और वृक्ष घनत्व 10% से अधिक हो।
  • क्षेत्रफल: 7,15,343 वर्ग किमी (21.76%)
  • वृद्धि: 156 वर्ग किमी।

वृक्षावरण (Tree Cover):

  • 1 हेक्टेयर से कम आकार के वृक्ष खंड जो अभिलेखित वन क्षेत्र के बाहर हैं।
  • क्षेत्रफल: 1,12,014 वर्ग किमी (3.41%)
  • वृद्धि: 1,289 वर्ग किमी।

कुल वनावरण + वृक्षावरण:

  • वनावरण और वृक्षावरण का संयुक्त क्षेत्र।
  • क्षेत्रफल: 8,27,357 वर्ग किमी (25.17%)
  • वृद्धि: 1,445 वर्ग किमी।

वन और वृक्षावरण की स्थिति: 2021 और 2023 का तुलनात्मक विश्लेषण

वर्ष 2021 और 2023 के बीच भारत के कुल वन और वृक्षावरण में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखा गया है। वर्ष 2021 में देश का कुल वन और वृक्षावरण क्षेत्र 8,09,537 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 8,27,357 वर्ग किमी हो गया। इस वृद्धि के साथ देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र में वन और वृक्षावरण का हिस्सा 24.62% से बढ़कर 25.17% हो गया है।
वृद्धि के संदर्भ में, वर्ष 2021 में कुल वन और वृक्षावरण में 2,261 वर्ग किमी की वृद्धि हुई थी, जबकि वर्ष 2023 में यह वृद्धि 1,445 वर्ग किमी रही। इस सकारात्मक परिवर्तन ने भारत की पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में प्रगति को स्पष्ट किया है।

सार:
कुल वृद्धि: 2023 में 1,445 वर्ग किमी की वृद्धि
भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्र जो वनों और वृक्षों से आच्छादित है, वह 25.17% तक पहुंच गया।
वनावरण और वृक्षावरण दोनों में वृद्धि सतत प्रयासों का परिणाम है।

क्षेत्रफल के आधार पर सर्वाधिक वनावरण एवं वृक्षावरण वाले राज्य:

1. मध्यप्रदेश: 85,724 वर्ग किमी
2. अरुणाचल प्रदेश: 67,083 वर्ग किमी
3. महाराष्ट्र: 65,383 वर्ग किमी

केवल वनावरण वाले शीर्ष राज्य:

1. मध्यप्रदेश: 77,073 वर्ग किमी
2. अरुणाचल प्रदेश: 65,882 वर्ग किमी
3. छत्तीसगढ़: 55,812 वर्ग किमी

वनावरण एवं वृक्षावरण में सर्वाधिक वृद्धि वाले राज्य:

1. छत्तीसगढ़: 684 वर्ग किमी
2. उत्तर प्रदेश: 559 वर्ग किमी
3. ओडिशा: 559 वर्ग किमी

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केवल वनावरण में वृद्धि वाले राज्य:

1. मिजोरम: 242 वर्ग किमी
2. गुजरात: 180 वर्ग किमी
3. ओडिशा: 152 वर्ग किमी

कुल क्षेत्रफल की तुलना में वनावरण प्रतिशत के अनुसार शीर्ष राज्य:

1. लक्षद्वीप: 91.33%
2. मिजोरम: 85.34%
3. अंडमान और निकोबार: 81.62%

18वीं भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट 2023 - अन्य तथ्य

  • देश के 19 राज्यों / केन्द्रशासित प्रदेशों में 33% से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनावरण के अंतर्गत हैं।


  • इनमें से 8 राज्यों / केन्द्र शासित क्षेत्रों में 75% से अधिक वनावरण है:- 
1. मिजोरम 2. लक्षद्वीप 3. अंडमान एवं निकोबार द्वीप 4. अरुणाचल प्रदेश 5. नागालैण्ड 6. मेघालय 7. त्रिपुरा 8. मणिपुर

  • कुल कच्छ वनस्पति (मैंग्रोव) आवरण 4992 वर्ग किमी. हैं।

  • देश में बांस आधारित क्षेत्र का विस्तार 154670 वर्ग किलोमीटर अनुमानित किया गया है, वर्ष 2021 में किए गए पिछले आकलन की तुलना में बांस क्षेत्र में 5227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई हैं।

महत्व:
  • इन आँकड़ों से भारत में वनों की स्थिति और जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में की जा रही प्रगति का पता चलता है।
  • बांस क्षेत्र और मैंग्रोव का विस्तार पर्यावरणीय संतुलन और कार्बन सिंक बढ़ाने में मदद करता है।

कार्बन स्टॉक और कार्बन सिंक (18वीं भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट 2023)

कार्बन स्टॉक

परिभाषा: किसी पारिस्थितिकी तंत्र में संग्रहित कुल कार्बन की मात्रा (वन, मिट्टी, महासागर आदि)!
  • कार्बन स्टॉक किसी विशेष पारिस्थितिकी तंत्र में संग्रहित कार्बन की मात्रा को संदर्भित करता है।
  • यह कार्बन वन मिट्टी और महासागर जैसे रूपों में संग्रहित होता है।
  • कार्बन स्टॉक वायुमंडलीय कार्बन स्तरों को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कार्बन सिंक

परिभाषा: ऐसे प्राकृतिक या कृत्रिम संसाधन जो वायुमंडल से अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं (जंगल, महासागर, मिट्टी, घास के मैदान)।

  • कार्बन सिंक द्वारा वायुमंडल से उत्सर्जित कार्बन की तुलना में अधिक कार्बन अवशोषित किया जाता है जैसे: महासागर, जंगल, मिट्टी, घास के मैदान, कोयला, तेल, प्राकृतिक गैसे ।
  • कुल कार्बन स्टॉक 7285.5 मिलयिन टन अनुमानित हैं।
  • 2021 के आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 81.5 मिलियन टन की वृद्धि हुई हैं।
  • NDC के लक्ष्यों की प्राप्ति के संबंध में वर्तमान आकलन से ज्ञात होता है कि भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO2 के समतुल्य तक पहुँच गया है जो दर्शाता है कि 2005 के आधार वर्ष की तुलना में भारत पहले ही 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक तक पहुँच चुका है।
  • जबकि 2030 तक 2.5 से 30 बिलियन टन का लक्ष्य रखा गया हैं।


भारत का वर्तमान कार्बन स्टॉक:-

  • 30.43 बिलियन टन CO₂ के समतुल्य।
  • 2005 के आधार वर्ष की तुलना में 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक प्राप्त।
  • 2030 का लक्ष्य:-
  • 2.5 से 3.0 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण।

महत्त्व:
  • भारत ने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के लक्ष्यों को पाने की दिशा में प्रगति की है।
  • कार्बन स्टॉक और सिंक में वृद्धि जलवायु परिवर्तन से निपटने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए आवश्यक है।

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